Top 200 + Samas for Bihar Board Exams



समास की परिभाषा

दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर जो नया और छोटा शब्द बनता है उसे समास कहते है ।

जैसे–

रसोई के लिए घर – रसोईघर

राजा का पुत्र – राजपुत्र


जो शब्द समास के नियम से बनता है उसे समस्त पदे या  सामासिक शब्द कहलाता है।

इसके दो भाग होते है 

1). पूर्वपद       2 ). उतर पद 


समास के छह भेद होते है।

1). तत्पुरुष समास 

2). अव्ययीभाव समास 

3) कर्मधारय समास

4). द्विगु समास

5 ) द्वंद्व समास

6) बहुब्रीहि समास


1). तत्पुरुष समास-– जिस समास में उतरपद प्रधान होता है एव पूर्वपद गौण होता है उसे तत्पुरुष कहते है ।

जैसे- धर्म का ग्रन्थ- धर्मग्रन्थ 

        राजा का कुमार

तत्पुरूष के निम्नलिखित प्रकार होते है।

O कर्म तत्पुरुष समास– (का) का लोप होता है।

ग्रन्थ को लिखने वाला – ग्रंथकार

करण तत्पुरुष समास– (से और के द्वारा) का लोप होता है वाल्मीकि के द्वारा रचित वाल्मिकिरचित

सम्प्रदान तत्पुरुष समास– ( के लिए) का लोप होता है।

सत्य के लिए आग्रह- सत्याग्रह

अपादान तत्पुरुष समास– (से) लोप होता है

पथ से भ्रष्ट-पथभ्रष्ट

O अधिकरण तत्पुरुष समास– (में और पर का लोप होता है। 

जल में समाधि-जलसमाधि

सम्बन्ध तत्पुरुष समास– (का, के, की का लोप होता है

राजा की सभा-राजसभा

   Example      

1. चित्त चोर – चित्त को चुराने वाला

2. मनोहर – मन को हरने वाला

3. जेबकतरा – जेब को काटने वाला

4. मुंहतोड़ – मुंह को तोड़ने वाला

5. सर्वज्ञ – सब को जानने वाला

6. विद्याधर – विद्या को धारण करने वाला

7. व्यक्तिगत – व्यक्ति को गत गया हुआ 

8. सर्वज्ञ – सर्व (सब) को जानने वाला

9. जितेन्द्रिय – इन्द्रियों को जीतने वाला

10. विकासोन्मुख – विकास को उन्मुख

11. मोहांध – मोह से अंधा

12. मेघाच्छन्न – मेघ से आच्छन्न (ढका हुआ)

13. अश्रुपूर्ण – अश्रु से पूर्ण

14. दयार्द्र – दया से आर्द्र

15. ईश्वर प्रदत्त – ईश्वर द्वारा प्रदत्त

16. तुलसी कृत – तुलसी द्वारा रचित

17. रोग पीड़ित –  रोग से पीड़ित

18. मनगढ़ंत – मन से गढ़ा हुआ

19. रेखांकित – रेखा के द्वारा अंकित

20. वाग्युद्ध – वाक् (वाणी ) से युद्ध

21. रंगमंच – रंग के लिए मंच

22. गृहस्थाश्रम – गृहस्थ के लिए आश्रम

23. हवन सामग्री – हवन के लिए सामग्री

24. यज्ञशाला – यज्ञ के लिए शाला

25. गोशाला – गायों के लिए शाला

26. रणभूमि – रण के लिए शाला

27. कारावास – कारा के लिए आवास

28. रसोईघर – रसोई के लिए घर

29. पाठशाला – पाठ (पढ़ने) के लिए शाला 

30. पापमुक्त – पाप से मुक्त

31. जन्मांध – जन्म से मुक्त

32. आदिवासी – आदि से वास करने वाला

33. इन्द्रियातीत – इन्द्रियों से अतीत

34. नरक भय- नरक से भय

35. राजद्रोह – राज से द्रोह

36. हृदयहीन – हृदय से हीन

37. आशातीत – आशा से परे 

38. अक्षांश-  अक्ष का अंश –

39. स्वतंत्र – स्व का तंत्र –

40. फुलवाड़ी – फूलों की बाड़ी

41. सौरमंडल – सूर्य का मण्डल

42. अमचूर – आम का चूर

43. सेनाध्यक्ष का अध्यक्ष

44. मंत्रिपरिषद – मंत्रियों की परिषद्

45. अश्वमेध– अश्व का यज्ञ

46. मनोविज्ञान – मन का विज्ञान 

47. आत्मनिर्भर – स्वयं पर निर्भर 

48. आपबीती- स्वयं पर बीती

49. तल्लीन – उसमें लीन

50. तीर्थाटन – तीर्थ में यात्रा

51. सर्वव्याप्त – सब में व्याप्त

52. पुरूषोत्तम – पुरूषों में उत्तम

53. नराधम – नरों में अधम

2). अव्ययीभाव समास– वह समास जिसका पहला पद अव्यय हो एवं उसके संयोग से समस्तपद भी अव्यय बन जाय उसे अव्ययीभाव समास कहते है। इसमें पूर्वपद प्रधान होता है। जैसे-  

  Hot Trick     

# से लेकर, तक,  क्रम,  के योग्य,  अभाव,  पुनरुक्ति 

# यदि शब्द के आरंभ अ, आ, बे, अनु, उप, अधि, भर, निर, प्रति, यथा, यावत आदि उपसर्ग हो तो वह अव्ययीभाव समास होते है       

   Example          

1. आजन्म – जन्म से लेकर 

2. प्रतिदिन – दिन दिन 

3. यथाशक्ति – शक्ति के अनुसार 

4. यथाक्रम – क्रम के अनुसार 

5. यथासमय – समय के अनुसार 

6. यथानियम – नियम के अनुसार 

7. यथारुचि – रूचि के अनुसार 

8. प्रतिवर्ष – प्रत्येक वर्ष 

9. घर-घर – प्रत्येक घर 

10. धड़ाधड – जल्दी से 

11. घड़ी -घड़ी – हर घड़ी 

12. रातोंरात – रात ही रात में 

13. आमरण – मृत्यु तक 

14. यथाकाम – काम के अनुसार 

15. यथासाध्य – साधने के अनुसार 

16. भरपेट – पेट भर 

17. यथासंभव – जितना संभव हो सके 

18. यथाशीघ्र  – जितना जल्दी हो सके 

19. दिनोदिन – दिन पर दिन 

20. अनुरूप – मन के अनुसार 

21. प्रतिदिन – प्रत्येक दिन 

22. हांथोहाथ – हाथ ही हाथ 

23. आपादमस्तक – पाद से लेकर मस्तक तक 

24. हरजगह – प्रत्येक जगह 

25. प्रत्यक्ष – आँखों के सामने 

26. यथाक्रम – क्रम के अनुसार 

27. बेकसूर – बिना कसूर के 

28. निडर – बिना डरे हुए 

29. अभूतपूर्व – जो पूर्व में नहीं हो 

30. आजीवन – जीवनभर 

31. यथामति – मति के अनुसार 

32. अनजाने – बिना जाने 

33. निसंदेह – बिना संदेह के 

34. बेखटके – बिना रोक टोक के 

35. यथानाम – नाम के अनुसार 

36. हरघड़ी – प्रत्येक घड़ी 

37. प्रतिमास – प्रत्येक महीना 

38. सहसा – अचानक 

39. बेरहम – बिना रहम के 

40. बेनाम – बिना नाम के 

41. बाकायदा – कायदे के अनुसार 

42. बेकाम – बिना काम के 

43. बेलगाम – लगाम के बिना 

44. साफ-साफ – बिल्कुल स्पष्ट 

45. भरपूर – पूरा भर के 

46. बेशक – बिना शक के 


3) कर्मधारय समास – वह समास जिसका पहला पद विशेषण तथा दुसरा पद विशेष्य होता है उसे कर्मधारय समास कहते है। जैसे-

1. महादेव – महान है जो देव  

2. करकमल – कमल के सामन कर 

3. पुरुषोत्तम – पुरुषों में है जो उत्तम

4. परमानंद – परम है जो आनंद

5. भलामान – भला है जो मानस

6. लालटोपी – लाल है जो टोपी

7. महाविद्यालय – महान है जो विद्यालय 

8. अधपका – आधा है जो पका

9. महाराज – महान है जो राजा

10. पीतांबर – पीत है जो अंबर

11. महावीर – महान है जो वीर

12. महापुरुष – महान है जो पुरुष  

13. प्रधानाध्यापक – प्रधान है जो अध्यापक

14. कापुरुष – कायर है जो पुरुष

15. नीलकंठ – नीला है जो कंठ

16. कालीमिर्च – काली है जो मिर्च

17. महादेव – महान है जो देव

18. श्वेतांबर – श्वेत है जो अंबर (वस्त्र)

19. सद्धर्म – सत् है जो धर्म

20. नीलगगन – नीला है जो गगन

21. अंधकूप – अंधा है जो कूप

22. लालछड़ी – लाल है जो छड़ी –

23. देहलता – लता रूपी देह

24. चंद्रमुख – चंद्र के समान मुख –

25. विद्याधन – विद्या रूपी धन

26. कमलनयन – कमल के समान नयन

27. वचनामृत – अमृत रूपी वचन 

28. क्रोधाग्नि – क्रोध रूपी अग्नि

29. संसारसागर -संसार रूपी सागर

30. ग्रंथरत्न – ग्रंथ रूपी रत्न

31. करकमल – कर रूपी कमल 

32. कुसुमकोमल – कुसुम सा कोमल

33. मृगलोचन – मृग के समान लोचन

34. चरणकमल – कमल के समान चरण

35. नीलांबर – नीला है जो अंबर

36. स्त्रीरत्न – स्त्रीरूपी धन 

37. प्राणप्रिय – प्राणों के सामान प्रिय 

38. नरसिंह – नररूपी सिंह 

39. भवजल – भव रुपी जल 

40. घनश्याम – घन के समान श्याम 

41. विद्याधन – विधा रूपी धन 

42. कनकलता – कनक के समान लता 

43. भुजदंड – दंड के समान भुजा 

44. पर्णकुटी – पर्ण से बनी कुटी 

45. कुबुद्धि – बुरी बुद्धि 

46. दुरात्मा – बुरा आत्मा 

47. कृष्णसर्प – कृष्ण है जो सर्प 

48. सज्जन -सत है जो जन 


4) द्विगु समास – वह समास जिसका पूर्व पद संख्यावाचक विशेषण होता है। जैसे

1. शताब्दी – सौ सालों का समूह  

2. पंचतंत्र – पाँच तंत्रों का समाहार

3. त्रिलोक– तीन लोको समूह 

4. नवरात्र – नौ रात्रि 

5. अठ्न्नी – 

6. दुसुती – 

7. पंचतंत्र – 

8. दोपहर

9. नवग्रह

10. चौराहा

11. अष्टाध्यायी

12. नवरत्ना

13. पंचमुखी – 

14. तिमाही

15. शताब्दी

16. सतसई

17. चौमासा

18. पंसेरी

19. त्रिफला – 

20. त्रिवेणी

21. सप्ताह

22. सप्तऋषि – 

23. त्रिभुवन

24. चतुवर्ण

25. पंचवटी

26. चारपाई

27. नवनिधि

28. पंजाब – पाँच नदियों का समूह 

29. दोराहा

30. अठकोना – 

31. छःमाही

32. पंचतत्व

5 ) द्वंद्व समास– जिस समस्त पद में दोनों पद प्रधान हों एवं दोनों पदों को मिलाते समय और, अथवा, या, एवं आदि योजक लुप्त हो जाएँ वह समास द्वंद्व समास कहलाता है। 

अन्न जल – अन्न और जल 

राजा रंक – राजा और रंक 

6) बहुव्रीहि समास— जिस समास के समस्तपदो मे से कोई भी पद प्रधान नही हो एवं दोनो पद मिलकर किसी तीसरे पद की ओर संकेत करते है वह समास बहुव्रीहि समास कहलाता है । 

गजानन – गज से आनन वाला 

चतुर्भुज– चार है भुजांए जिस

त्रिलोचन – तीन आँखो वाला 

दशानन – स है आनन

निम्नलिखित में कौन सा समास है 

नीलकमल-कर्मधारय  

लम्बोदर-बहुब्रीहि 

आत्मविश्वास – तत्पुरुष 

मतदाता – तत्पुरुष  

सप्तद्वीप – द्विगु 

यथास्थान – अव्ययीभाव 

जन्मान्ध – तत्पुरुष 

आजीवन – अव्ययीभाव 

प्रतिदिन – अव्ययीभाव 

यथासमय – अव्ययीभाव 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top